खाना लपेटने का रैपर बना सकता है मोटा
सेहतराग टीम
अगली बार जब आप किसी रैपर में खाना लपेट रहे हों या बाजार से ऐसा कोई फास्टफूट खरीद रहे हों जो इस तरह के रैपर में लपेट कर बेचा जाता है तो सावधान हो जाएं क्योंकि खाने से वजन बढ़ने के अलावा यह रैपर भी अब आपका वजन बढ़ा सकता है। चौंकिये नहीं, हम यूं ही आपको डराने के लिए ये बात नहीं कह रहे हैं। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने लंबे रिसर्च के बाद यह दावा किया है।
रसायन का है सारा खेल
इस रिसर्च का दावा है कि खाने को लपेटने में इस्तेमाल होने वाला कागज, नॉन स्टिक पैन में लगने वाली कोटिंग और कपड़ों में इस्तेमाल होने वाला रसायन हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म में छेड़छाड़ करके शरीर के वजन को बढ़ा सकता है। खासकर महिलाओं में इसका ज्यादा असर होता है।
इस सब्स्टेंस के कारण बढ़ता है मोटापा
दरअसल इन चीजों में जिस रसायन का इस्तेमाल किया जाता है उसे परफ्युरॉलकिल सब्स्टेंस कहते हैं जिससे कैंसर, हॉर्मोन में बदलाव, इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी, हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल होने की बात पहले से कही जाती रही है। अब पहली बार वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि यह सब्स्टेंस मानव शरीर के वजन की प्रक्रिया में भी हस्तक्षेप कर सकता है और इस प्रकार मोटापे की स्थिति को और गंभीर बना सकता है।
किसने किया शोध
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूट्रिशन के असिस्टेंट प्रोफेसर और इस रिसर्च के सीनियर ऑथर की सुन का कहना है कि पहली बार इस शोध के नतीजों ने इस बात का खुलासा किया है कि ये सब्स्टेंस मानव शरीर के वजन नियंत्रण प्रणाली में हस्तक्षेप कर मोटापे को बढ़ाने में मदद करता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि ये सब्स्टेंस जिन्हें ओबीसोजेन्स भी कहते हैं, शरीर के वजन नियंत्रण के साथ हस्तक्षेप करता है और इसका संबंध शरीर के धीमे मेटाबॉलिक रेट से है। जिन लोगों के खून में इस सब्स्टेंस की मात्रा ज्यादा होती है, वजन घटने के बाद भी उनके शरीर का मेटाबॉलिज्म बेहद धीमा रहता है।
कितने प्रतिभागी शामिल किए गए
साल 2000 के आसपास वेट लॉस को लेकर जो क्लिनिकल ट्रायल हुआ था उसमें शामिल 621 ओवरवेट प्रतिभागियों के डेटा को इस स्टडी में ट्रैक किया गया। इस स्टडी में 2 साल के दौरान वजन घटाने के लिए चार हार्ट-हेल्दी डायट के नतीजों को भी शामिल किया गया। स्टडी में शामिल प्रतिभागियों के खून में इस सब्स्टेंस की मात्रा अलग-अलग थी।
नतीजा क्या रहा
ये पाया गया कि औसतन इन प्रतिभागियों ने शोध के आरंभ में 6.4 किलो वजन कम किया मगर अगले डेढ़ वर्ष के दौरान इन्होंने 2.7 किलो तक वजन फिर से बढ़ा लिया। इन प्रतिभागियों के खून में इस सब्स्टेंस की मात्रा ज्यादा बढ़ी हुई थी और खासकर महिलाओं में इस सब्स्टेंस और वजन का संबंध ज्यादा मजबूती से स्थापित हुआ।
(द टाइम्स ऑफ इंडिया से साभार)
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